सिसकियाँ मजबूरियों कि निकलती है अफ़सानों में
जों बयां होते नही, रह जाते हैं बाकि निशा
मिलता है खंडहर एक ख्वाब ए महल का
जब कुरेदता हू पन्ने अतीत के विरानो में
--------------------------------------------- साहिल
सर्द हवाए सब कुछ बहा ले गई,
छोडा भी तो खोखले इन्सान छोड़ गई,
----------------------------------------------- साहिल
नही वक्त इतना कि हम किसी को याद करे
वक्त मिलता है तो दूंद्ता हूँ , वो साहिल कहा गुम है,
----------------------------------------------- साहिल
अश्क रंजोगम , दीवानापन वो छोड़ आए
हम उस गली में बची जिन्दगी छोड़ आए
तड़पते हुए दो दिलो को बिलखते छोड़ आए
हाँ, एक बेबस जिन्दगी का हल निकाल लाये
----------------------------------------------- साहिल
वक्त ने दी है, खामोशी तेरे नाम कि
जब वक्त मिलता है तो दूंड़ता हूँ इस शोर में
----------------------------------------------- साहिल
पेचीदा लब्जो कि जंग में
एक लब्ज जीत गया
नाकाम कोशिशो के बाद
नाम "हालत" रख क दिया
----------------------------------------------- साहिल
गुजर जिन सडको पर कि
शाम को जहा शोर होता है
क्यूं न कोई आता है वहां
जब रात को सन्नाटा होता है
----------------------------------------------- साहिल
गुमराह दीवारों कि आवारगी
नूर ए नज़र थे ये परदे
बनाया था एक आशियाँ मैंने
हवादान बनकर रह गया
(बेस्ट शेर ऑफ़ माय life)
----------------------------------------------- साहिल
गुंजाइश हो या न हो
लेकिन ताबुतो के ढेर में
एक कब्र कोने होगी
,
और तारीखे ए बदल में
एक नुमाइश जरूर होगी
,
तब हम भी देखेंगे,
तमाशा बाशिंदों के
बस किरदार बदले होंगे
हालत फिर से होंगे यूँही
फिर उठेंगे वही सवाल
बस आपके फेशेले बदले होंगे
----------------------------------------------- साहिल
एक जख्म कि कसक का मातम
हमने इतना मायना यारो
कि जिन्दगी है कसक में गुजरी
मरहम लगाना भूल गए
----------------------------------------------- साहिल
रोकर जो टूटे उसे दिल कहते है
हस कर जो फिर जुड़े उसे इन्सान कहते है
----------------------------------------------- साहिल
वे भी थके
वे भी टूटे
पर एक खास बात
वे कभी नही रुके
वे कभी नही रुके
------------------------------------------------ साहिल , 22/10/2008
Friday, June 13, 2008
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2 comments:
bahut sahi ... ek do aur shaayri daal de yaar .... pyaar ishq mohabbat types wali bhi .... thodi halki fulki ...
chhoti ee aur badi ee mein koi farq nahin hai? is break mein apni spelling sudhar lo!
Main bhi koshish karoonga.
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